Saturday, 2 February 2019

"माँ" और "मैं"

"माँ" और "मैं"

ट्रेन का समय हो रहा था माँ मुझे रास्ते में खाने के लिए कुछ पूरियाँ बना रही थी और जल्दी जल्दी बोल रही यही तैयार हो वरना ट्रेन छूट जाएगी मैं कुछ देर कर रही थी कि घर मे में और कुछ पल ठहर लूँ माँ को चिंता थी मेरी ट्रेन कहीं छूट न जाये
तब भी उनका दिल न माना वो मुझसे पहले मेरा सामान ले कर चल दी और मुझसे बोली तुम आती रहना मैं जब तक पहुंचती हूँ माँ चली गई मेरा भारी सामान ले कर मेरे मना करने बाद भी मैंने रोक माँ समान  भारी है आपसे  न बनेगा पर वो मेरी एक न मानी बड़ी मुश्किल से वो भारी सामान ले कर स्टेशन पहुंच गईं और वो खड़े होकर मेरा इंतज़ार कर रहीं थीं जब मैं पहुँची तो वो बोली जल्दी टिकट लो ट्रेन जाने वाली है मैंने जल्दी-जल्दी टिकट लिया
और ट्रेन को जाने में शायद 5 या 10 मिनट होंगे
तब तक वो मुझे समझाती रहीं अच्छे से जाना पहुँच के फ़ोन करना ट्रेन जाने का समय होता ही जा रहा था मुझे मन ही मन दुख था माँ से दूर जाने का उनको भी था पर दोनों कह नहीं पा रहे थे मैं समझ गई थी माँ अब भावुक हो गईं हैं मैं उनका ध्यान बटाने के लिए यहाँ-वहाँ की बातें छेड़ने लगी पर माँ का ध्यान वहीं था तब तक ट्रेन का समय पूरा हो गया था गाड़ी हॉर्न दे दी बस जाने में कुछ थे तब तक माँ की आँखों में भर आये थे उन्होंने मेरे सर पे अपना हाथ फेरा और खूब दुआएँ दी और मेरे माथे को चूमा मेरे पूरे चहरे पर खूब चुम्बन लिए और अपना आँचल निकल के मेरे सर पे फेरा और फूटफूट कर रो दी और मैंने अपने दिल पे पत्थर रख के कहा, "माँ रोती क्यों हो मैं फिर आऊँगी पर माँ रोती जा रही थी " उस वक़्त मुझे दो गम थे एक माँ से दूर जाने का  और दूसरा मेरे जाने से माँ का रोना उस वक़्त मन कर रहा था मैं वहीं रुक जाऊँ पर जाना जरूर था ट्रेन ने फिर हॉर्न दिया मैं माँ को सलाम करते हुए ट्रेन में चढ़ गई ट्रेन चल दी  स्टेशन से माँ के आँसू और तेज बहने लगे फिर मैंने खिड़की झाँक कर अपना हाथ हिलाया माँ को बाय बोला माँ फिर भी वहीं खड़ी रही जब तक माँ की आँख से  मैं ओझल न हो गई नीर तो बेहद भरे थे मेरी आँख में वो मैंने जान बूझ कर माँ आपके सामने रोक रखे थे अगर आपके रोने पे मैं भी रो देती तो आप और रोती मेरे जाने पे इस लिए बड़ी मुश्किल से मैंने अपने आँसुओं को रोक रखा था
फिर मेरे आँसुओं का ठिकाना न रहा बेहिसाब उमड़ पड़े 😭😭😭😭😭 जैसे -तैसे खुद को समझाया कुछ पाने के लिये कुछ खोना पड़ता है माँ पूरे रास्ते फ़ोन कर-कर के पूछती रहीं अब कहाँ पहुँची जब पहुँच गई तब माँ को बताया मैं आ गई अपने ठिकाने माँ फिर फोन पे रो दी मेरे जाने से और बोली, "बेटा तुम्हारे जाने ये घर बहुत सूना हो गया" माँ के ये कहते ही मैंने अपनी दोनों आँखें नम कर ली और फिर दिन मुझे आये कुछ चन्द मिनट हुए थे आये हुए और माँ बोली, "जल्दी आऊँगी मम्मी" और मैंने कहा' "मम्मी मैं थकी हूँ बाद में बात करुँगी " ये कहकर मैं फिर से फूट-फूट कर रोई । अब जब भी फोन पर माँ से बात करती हूँ माँ के दो ही सवाल रहते हैं "बेटा ये घर तब से सूना हो गया जब से तुम गई" और दूसरा सवाल "अब घर कब आओगी बेटा"........ माँ तुम्हारे जैसा कोई नहीं इस दुनियाँ में मेरी इतनी फ़िक्र करने वाला माँ तुम सबसे "अनमोल" हो मेरे लिए ........💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐

शीरीं मंसूरी "तस्कीन"

I loooovvvveee uuuuu alootttt dear sweet mammi.........

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