कई दिनों से कुछ अरमां कुछ ख्वाहिशें क़ैद हैं इस सीने में गर इजाज़त हो तो ज़िक्र करूँ तुमसे......
शीरीं मंसूरी "तस्कीन"
No comments:
Post a Comment