जब साँझ ढ़ले गर तुम्हें मेरी याद आये तो चले आना वहीं जहाँ हम पहली बार मिले थे मैं तुम्हें वहीं खड़ी मिलूँगी "सिर्फ़ और सिर्फ़" तुम्हारा इंतज़ार करते हुए उसी जगह दिलबर......
शीरीं मंसूरी "तस्कीन"
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