माँ.....
बिन बोले कैसे समझ जाती हो
मेरे दिल की बातें
माँ....
बिन बताये मुझे मेरी थाली में
मेरी पसन्द की चीज़ रखना
माँ....
और अपने हिस्से का भी मुझे दे देना
माँ आपका स्नेह अपार है असीमित है
माँ....
किस बात से मैं परेशान हूँ मेरी माथे की
सिकन को आसानी से पढ़ लेना
माँ....
सच!मैं आपके बिन बहुत अकेली और अधूरी हूँ
मेरी सारी बलाओं को खुद ले लेना
माँ....
बदले में ढ़ेर सारी दुआएं देना
खुद आँखें नम कर के
माँ....
अपने आँचल को मेरे सर पे रखना
मुझे दुनियाँ की बुरी बलाओं से महफूज़ रखना
माँ....
जब तक मैं आँखों से ओझल न हो जाऊं
इक टक मुझे देखते रहना
माँ....
कई दिनों से कुछ सिक्कों को इकठ्ठा करना
जाते वक़्त उन सिक्कों को तोहफ़े में देना फिर
माँ....
रुंधते हुए स्वर में कहना , "ले लो बेटा जो है"
शीरीं मंसूरी "तस्कीन"
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