Sunday 31 December 2017

आरजू है अगर तो सिर्फ तुम्हें पाने की

खुदा से यूँ हर रोज सब लोग
जन्न्त पाने की आरजू रखते हैं
मगर खुदा से मुझे किसी चीज की आरजू नहीं
आरजू है अगर तो सिर्फ तुम्हें पाने की


शीरीं मंसूरी "तस्कीन"

Saturday 30 December 2017

इस दुनियाँ में मुझे किसी, चीज की ख्वाहिश नहीं

इस दुनियाँ में मुझे किसी, चीज की ख्वाहिश नहीं
न हीरे की ,न मोती की, न सोने की, न चांदी की
मुझे ख्वाहिश है तो सिर्फ तुम्हारी चाहत की


शीरीं मंसूरी "तस्कीन"

Friday 29 December 2017

आज वारिश आयी थी मेरे घर

आज वारिश आयी थी मेरे घर
वारिश भी आयी तुम्हारी कुछ यादें भी
अपने साथ-साथ लायी थी सनम
याद है तुम्हें जब हम उस दिन पहली बार
उस वारिश में साथ-साथ भीगे थे

शीरीं मंसूरी "तस्कीन"

Thursday 28 December 2017

आज हवाएं बहुत तेज हैं

आज हवाएं बहुत तेज हैं
मेरे कानों के पास से गुजर कर
ये मुझसे कुछ कह रही हैं
हमेशा तुम अकेली क्यों आती हो
अपने महबूब को क्यों नहीं लायी
कब तक इन हवाओं से
इन महके हुये फूलों से,
इन चाँदनी भरी रातों से
कब तक झूठ बोलूँ कि मेरा महबूब
अब तक मुझसे रूठा जो है
शायद इन हवाओं को, मैं तुम्हारे पास भेजूं
तो ये हवाएँ ही तुम्हें , मना के ले आएं
मेरी न सही ऐ मेरे महबूब
इन हवाओं की तो सुनोगे तुम
तब तो तुम्हें तरस आएगा न मेरे दिल पर
ये दिल तुम्हें कितना बार-बार कितना याद करता है

 मंसूरी "तस्कीन"

Wednesday 27 December 2017

अब लौट भी आओ न ऐ मेरे हमदम

बहुत हुआ रूठने मनाने का खेल
अब लौट भी आओ न ऐ मेरे हमदम
कब से बैठी हूँ तुम्हारे इंतजार में
हर गली हर रास्ता मैंने तुम्हारे लिए सजाया है
पता नहीं किस गली किस रास्ते से गुजरो तुम
अब तुम्हारे इन्तजार में मेरी आँखे थक चुकी हैं
तुम्हारी वाट जोतते-जोतते ऐ मेरे सनम
कब तक जिऊं तुम्हारी यादों के साये के साथ
अब बस बहुत हुआ लौट भी आओ न
कब तक रूठे रहोगे हमसे यूँ मेरे सनम

शीरीं मंसूरी "तस्कीन"

Wednesday 6 December 2017

सच ही कहा है लोगों ने

सच ही कहा है लोगों ने
मोहब्बत के आगे हर कोई हारा है
मैं भी हार चुकी हूँ इससे
तुम्हें पाने की तिशनगी
दिन-व-दिन बढ़ती जा रही है
                             मेरे महबूब

शीरीं मंसूरी "तस्कीन"

Tuesday 5 December 2017

न ईद पर वो आये, न उनका कोई पैगाम

न ईद पर वो आये, न उनका कोई पैगाम
क्या यही प्यार करने की अदा है उनकी.....
                  

शीरीं मंसूरी "तस्कीन" 

Monday 4 December 2017

यूँ तो कुछ देर ठहर जाती वो रात

यूँ तो कुछ देर ठहर जाती वो रात
तेरे मेरे मिलन की वो आखिरी रात

यूँ तो कुछ देर तुम्हें आये न हुआ
तुमने कह दी फिर वो जाने की बात
यूँ तो कुछ........

तेरे आगोश में मैं आने न पायी थी अभी
तुमने कह दी फिर से जाने की वो बात
यूँ तो कुछ........

यूँ तेरे दामन से लिपट के रो भी न पायी थी अभी
तुम फिर से दे गये वो आँसू जार-जार
यूँ तो कुछ........

अपने खामोश लबों को हिला भी न पायी थी अभी
अपने लबों से कर दी फिर से जाने की वो बात
यूँ तो कुछ........


शीरीं मंसूरी “तस्कीन”

Sunday 3 December 2017

मुझे याद है शायद तुम भूल गए

मुझे याद है शायद तुम भूल गए
दोस्ती तुमने की पर निभाई मैंने है
मुझे याद है........
प्यार तुमने किया पर निभाया मैंने है
मुझे याद है........
वादे तुमने किये पर निभाए मैंने हैं
मुझे याद है........


शीरीं मंसूरी “तस्कीन”

Saturday 2 December 2017

ख्वाहिशें तो बहुत उठती हैं इस दिल में हर रोज

ख्वाहिशें तो बहुत उठती हैं इस दिल में हर रोज
मगर तुम्हारी खुशियों के लिए इन्हें दफनाया भी हर रोज करती हूँ


शीरीं मंसूरी “तस्कीन”

Friday 1 December 2017

मैंने तुमसे कुछ ज्यादा तो नहीं

मैंने तुमसे कुछ ज्यादा तो नहीं
सिर्फ प्यार के बदले, प्यार ही तो माँगा था
मैंने तुमसे........
दो कदम साथ चलने के लये,मैंने तुम्हारा हाथ ही तो माँगा था
मैंने तुमसे........
तुम्हें ख़ुशी देने के लिए, तुम्हारे गमों को ही तो उधार माँगा था
मैंने तुमसे........
तुम्हें उपर उठाने के लिए, थोडा-सा गिरना ही तो चाहा था
मैंने तुमसे........
तुम्हारी तमन्नाओं को पूरा करने के लिए, तुमसे दूर जाना ही तो माँगा था
मैंने तुमसे........
तुम्हें अच्छा साबित करने के लिए, थोडा-सा बुरा बनना ही तो चाहा था 
मैंने तुमसे........
तुम्हें दुनियाँ की बुरी नज़र से बचाने के लिए, तुम्हारी थोड़ी-सी बलाएँ ही तो मांगी थी
मैंने तुमसे........
तुम्हें मान देने के लिए, थोडा-सा बदनाम होना ही तो चाह था
मैंने तुमसे........
तुम्हें मंजिल तक पहुँचाने के लिए, तुम्हारा रास्ता बनना ही तो चाहा था
मैंने तुमसे........
तुम्हारी परछाई बनने के लिए, तुम्हारे साथ चलना ही तो चाहा था
मैंने तुमसे........


शीरीं मंसूरी “तस्कीन”