बहुत दिनों के मिलने के बाद भी हम लोग कितने बदले थे न क्या करें हमारे बस में कुछ भी नहीं क्या करें वक़्त ने किसी को नहीं छोड़ा
शीरीं मंसूरी "तस्कीन"
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