देखो न,
ये साल भी ढ़ेर सारी तुम्हारी मीठी यादों के साये में गुजर ही गया न कभी तुम पर ढ़ेर सारा प्यार लुटाया, कभी तुम्हारी तस्वीर से जी बहलाया कुछ झूठी आशाएं तुमसे मिलन की कुछ झूठी उम्मीदें तुम्हें करीब से देखने की कभी खुद को तड़पाया कभी तुमको हंसाया और देखते-देखते न जाने कब ये साल बीत ही गया.....
तुमसे ही मैं.....
शीरीं मंसूरी "तस्कीन"
No comments:
Post a Comment