Saturday, 2 February 2019

मेरे अनसुलझे हमसफ़र

हर बार किया हुआ तेरा झूठा वादा मिटाया
हर जगह से लिखा तेरा नाम मिटाया
हर तरफ से तेरी झूठी उम्मीद को मिटाया
हर पल दिए हुए तेरे ज़ख्म को मिटाया
हर तरफ से आई तेरी याद को मिटाया
तेरे साथ चले हुए पैरों के निशाँ को मिटाया
अफ़सोस!! इस दिल से तेरा नाम मिटाने में
हमेशा नाकामयाब ही रही ......😊😊😊😊😊

मेरे अनसुलझे हमसफ़र....

शीरीं मंसूरी "तस्कीन"

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