तुम तो मुझे अंधेरे में छोड़ के चले गए थे
तब उस वक़्त मुझे सबसे ज्यादा तकलीफ़ हुयी थी
मगर अब सोचती हूँ कि न तुम ऐसा करते
तो शायद मैं अब तक उजाले से अंजान ही रहती...
तब उस वक़्त मुझे सबसे ज्यादा तकलीफ़ हुयी थी
मगर अब सोचती हूँ कि न तुम ऐसा करते
तो शायद मैं अब तक उजाले से अंजान ही रहती...
शीरीं मंसूरी "तस्कीन"
बहुत गंभीर रचना।
ReplyDeleteभाव-गाम्भीर्य से ओतप्रोत सुंदर रचना।
बधाई एवं शुभकामनाएँ।
बहुत-बहुत आभार आपका💐💐
Delete