तस्कीन
Tuesday, 20 June 2017
लाख मुखोटे
अपने चहरे पे तुमने लगाये हैं
यूँ अच्छाई के लाख मुखोटे
ढूँढने निकलूँ बुराई को दुनिया में
तो तुम सा बुरा न कोई पायेगा
शीरीं मंसूरी " तस्कीन "
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment