मेरे ख्वाबों ख्यालों की दुनियाँ में तुम इस क़दर बसे हो की ये जहाँ नज़रे फेरी तेरा ही अक्स नज़र आया हमको ये मेरा वहम है या हकीकत ये मैं न जानू अब आके तुम इसे आज हकीक़त में बदल दो
शीरीं मंसूरी "तस्कीन"
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