मुझे बचपन से अपनी मातृभाषा से बहुत प्रेम रहा है
जब में एक स्कूल में पढ़ाती थी हिंदी तब लोग पूछते थे क्या पढ़ाती हो मैं कहती थी हिंदी तब लोग बड़े आश्चर्य से कहते थे मुँह बना के हिंदीदीदीदी......
तब मुझे उनका आश्चर्य वाला मुँह देख के बड़ा आश्चर्य होता था लोग अपने देश की हिंदी भाषा का नाम सुनते ही ऐसे मुँह क्यों बनाते हैं जबकि हमें हिंदी भाषा से बहुत प्रेम होना चाहिए पर मुझे अपने में गर्व होता था क्यों कि मुझे हिंदी से बहुत प्रेम है बचपन से ही हमेशा हिंदी में मेरे मार्क्स भी अच्छे आये हैं....
भाई हिंदी को इस नज़र से मत देखो आखिर हिंदी हमारी मातृभाषा है
शीरीं मंसूरी "तस्कीन"
Saturday, 2 February 2019
हिंदी हमारी मातृभाषा है
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