ये रात का मंजर उनके बाहों में मेरा सर हल्की सर्द मद भारी रात चारों ओर छिटकी चाँदनी एक-दूसरे के हाथों की लकीरों में खुद को ढूंढें फिर छेड़ दें कोई तराना फिर "तस्कीन" कहीं और जाने की बात भला क्यों करे💕💕💕💕.....
शीरीं मंसूरी "तस्कीन"
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