Saturday 2 February 2019

ये रात का मंजर

ये रात का मंजर
उनके बाहों में मेरा सर
हल्की सर्द मद भारी रात
चारों ओर छिटकी चाँदनी
एक-दूसरे के हाथों की
लकीरों में खुद को ढूंढें
फिर छेड़ दें कोई तराना
फिर "तस्कीन" कहीं और
जाने की बात भला क्यों करे💕💕💕💕.....

शीरीं मंसूरी "तस्कीन"

No comments:

Post a Comment