मेरी दिल की धड़कनें मेरी साँसें तुम्हारी रूह से होकर जाती हैं जो तुम नहीं तो ये जग सूना सूना मैं कैसे करूँ बयाँ तुम्हारे इश्क़ को ये मैं खुद जानू न ऐ बेख़बर सनम....
शीरीं मंसूरी तस्कीन"
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