सब तो ले जा चुके हो मेरी जिन्दगी से बस एक एहसान और कर दो मेरे ऊपर अपनी यादों को और ले जाओ कसम से ये कोई कसर नहीं छोड़तीं हैं मुझे रुलाने में
तुम्हारे यादों के साये से....
शीरीं मंसूरी "तस्कीन"
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