मेरी हर उम्मीद को तुम ने हमेशा न उम्मीद किया है पर हर तुम्हारी ख्वाहिश में मैंने तुम्हारा साथ दिया है बस यही फ़र्क है "तुम" और "मैं"
शीरीं मंसूरी "तस्कीन"
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