खुद को अंधेरे में रहना मुनासिब समझा और तुम्हें उजाला बना के रखा क्योंकि अंधेरा उजाला एक साथ नहीं रह सकते अगर मैं चमकी तो तुम नजर नहीं आते हर पल तुम्हारी चमक का ही ख्याल किया है ऐ प्रिय
शीरीं मंसूरी "तस्कीन"
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