Friday, 1 February 2019

तुम्हारे यादों के पन्ने

मैं उस जगह ठहरी तो बहुत देर तक थी
पर न वो रुका न मैंने आवाज़ दी क्योंकि
मैं उसे उसकी मंजिल से रोकना नहीं चाहती थी
खुद ग़म सहना चाहती थी पर उसे देना नहीं चाहती थी......

@@#तुम्हारी यादों के पन्ने से.....

शीरीं मंसूरी "तस्कीन"

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