कुछ ज्यादा तो नहीं बस ये शमा हो
दूर तलक नीले आसमान का साया हो
इन हाथों को तेरी बाहों का सहारा हो
बहते किसी समुंदर का किनारा हो
चारों तरफ फैली हरियारी हो
तुम्हारी मीठी बातों का सिलसिला हो
अटखेलियां करती कुछ दिल में उमंगें हो
तेज़ हवाओं की सरसराहट हो
कुछ खग की चहचहाट हो
फिर हर मंजिल हर कारवाँ सिर्फ हमारा हो......
शीरीं मंसूरी "तस्कीन"
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