Friday, 1 February 2019

दिल का कसूर या नज़रों का

आँखे बन्द करती हूँ तुम्हारा चेहरा नज़र आता है
आँखे खोलती हूँ तब भी तुम्हारा चेहरा नज़र आता है
इसे दिल का कसूर कहूँ या नज़रों का....

शीरीं मंसूरी "तस्कीन"

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