आज भी तुम्हारा दिया हुआ गुलाब मेरे किताबों के पन्नों में वही महक देता है जो आज भी तुम्हारे प्यार की खुश्बूओं से मुझे रोज़ महकाता है.....
शीरीं मंसूरी "तस्कीन"
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