Friday, 1 February 2019

दिया हुआ ग़ुलाब

आज भी तुम्हारा दिया हुआ गुलाब
मेरे किताबों के पन्नों में वही महक
देता है जो आज भी तुम्हारे प्यार की
खुश्बूओं से मुझे रोज़ महकाता है.....

शीरीं मंसूरी "तस्कीन"

💕💕💕🌹🌹🌹🌹

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