रूठे कई बार हो हमसे तुम मनाया भी है कई दफा मैंने क्योंकि खुद दुःख सह लूँगी पर
तुम्हें दुखी देखना इस दिल को गवारा नहीं हर पर क्योंकि इस दिल ने सिर्फ तुम्हें खुश और मुस्कुराते हुए देखना चाहा है मेरी इस आदत को तुम कमजोरी समझो साहिब मैं आपकी नजर में कमजोर ही सही पर रब से दुआ है तुम खुश रहो इसके आगे कुछ न कहना साहिब ....☺☺☺☺
शीरीं मंसूरी "तस्कीन"
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