Friday, 1 February 2019

कमजोर ही सही

रूठे कई बार हो हमसे तुम मनाया भी है कई दफा मैंने क्योंकि खुद दुःख सह लूँगी पर
तुम्हें दुखी देखना इस दिल को गवारा नहीं हर पर क्योंकि इस दिल ने सिर्फ तुम्हें खुश और मुस्कुराते हुए देखना चाहा है मेरी इस आदत को तुम कमजोरी समझो साहिब मैं आपकी नजर में कमजोर ही सही पर रब से दुआ है तुम खुश रहो इसके आगे कुछ न कहना साहिब ....☺☺☺☺

शीरीं मंसूरी "तस्कीन"

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