तुमने मुझे कभी चाहा या नहीं ये जानने की कोशिश मैंने कभी नहीं कि पता है न ऐसा मैंने क्यों किया क्योंकि मैं तुम्हारे प्यार में इतनी मशरूफ़ थी कि ये सोचने का कभी मुझे मौका न मिला सनम...
शीरीं मंसूरी "तस्कीन"
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