तस्कीन
Tuesday, 6 June 2017
कभी मिटते नहीं
कुछ जख़्म ऐसे मिलते हैं ज़िन्दगी में
जो कभी मिटते नहीं
हमेशा दर्द देते हैं
शीरीं मंसूरी
'तस्कीन'
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment