साल
का आखिरी दिन था
सब भूल के नयी जिन्दगी की ओर
बढ़ने लगी थी मैं
अचानक आकर यूँ मेरी जिन्दगी में
सब रंग भर गए थे तुम
सोचा था मंजिल मिल गई मुझे
अंजान थी में खुद से
जो तुझ पर भरोसा कर बैठी
सब भूल के नयी जिन्दगी की ओर
बढ़ने लगी थी मैं
अचानक आकर यूँ मेरी जिन्दगी में
सब रंग भर गए थे तुम
सोचा था मंजिल मिल गई मुझे
अंजान थी में खुद से
जो तुझ पर भरोसा कर बैठी
शीरीं
मंसूरी " तस्कीन "
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