तस्कीन
Friday, 2 June 2017
ज़िन्दगी की कशमकस
ज़िन्दगी की कशमकस में
,
उलझनें हैं हज़ार
मगर मैं तुझे याद
,
करती हूँ बार- बार ....
शीरीं मंसूरी 'तस्कीन'
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment