Tuesday, 11 September 2018

यादों के साये


आज भी मैं तुम्हारी यादों के साये के साथ जीती हूँ
तुम्हारे जाने के बाद यही तो हैं जो मेरा साथ देती हैं

शीरीं मंसूरी “तस्कीन”

Saturday, 13 January 2018

हर झूठी उम्मीद के साथ

हर झूठी उम्मीद के साथ हर राह पर 
आज भी तुम्हारा  इंतज़ार करती हूँ 

शीरीं मंसूरी "तस्कीन"

Friday, 12 January 2018

क्या करूँ साहिब ?

क्या करूँ साहिब ? रिश्ता मुझे ईमानदारी से निभाना आता है
आप मेरी इस कमजोरी को कमजोरी समझे
तो हाँ साहिब मैं कमजोर ही सही आपकी नजर में....


शीरीं मंसूरी "तस्कीन"    

Thursday, 11 January 2018

इतने सालों में मिले तो थे हम तुम

इतने सालों में मिले तो थे हम तुम
दिल में खुशी थी खुशी पहले जैसी न थी
उस जगह बैठे तो थे हम तुम
मगर तुम तुम न थे मैं मैं न थी
शायद वक़्त ने हम दोनों को बदल दिया
हम दोनों होकर भी वहाँ नहीं थे


शीरीं मंसूरी "तस्कीन"

Wednesday, 10 January 2018

हज़ार मर्तबा लेने के लिए तैयार हूँ

ढेर सारे आँसूओं के साथ जब तुम
मेरे चेहरे पर खिलखिलाती हुई मुस्कान 
दे जाते हो कसम खुद की मैं तुम्हारे दिए
हुए उन हज़ार आँसूओं को
हज़ार मर्तबा लेने के लिए तैयार हूँ
                                 

शीरीं मंसूरी "तस्कीन"

Tuesday, 9 January 2018

लोगों ने सच ही कहा है

लोगों ने सच ही कहा है
वक़्त किसी जा नहीं होता
अब तुम तुम न रहे 
और हम हम न रहे
वक़्त ने हम दोनों को बदल डाला
सच है वक़्त से कोई बड़ा नहीं होता

शीरीं मंसूरी "तस्कीन"

Monday, 8 January 2018

शिकायतें तो बहुत हैं तुमसे

शिकायतें तो बहुत हैं तुमसे
मगर डर लगता है कि कहीं
तुम रूठ न जाओ हमसे....


शीरीं मंसूरी "तस्कीन"

Sunday, 7 January 2018

मेरा कसूर सिर्फ इतना ही तो है

मेरा कसूर सिर्फ इतना ही तो है
कि मैंने तुमसे बेइन्तहा प्यार किया है
इस बात की मुझे इतनी बड़ी सजा मत दो
रहम खाओ मेरे दिल पे अब आ भी जाओ न


शीरीं मंसूरी "तस्कीन"

Saturday, 6 January 2018

सच ही कहा है लोगों ने

सच ही कहा है लोगों ने
मोहब्बत के आगे हर कोई हारा है
मैं भी हार चुकी हूँ इससे
तुम्हें पाने की तिशनगी
दिन-व-दिन बढ़ती जा रही है
                             मेरे महबूब

शीरीं मंसूरी "तस्कीन"

Friday, 5 January 2018

इस नादान से दिल के आगे

इस नादान से दिल के आगे
मैं इससे लड़ते-लड़ते हार चुकी हूँ अब
दिन-व-दिन तुम्हें पाने की चाहत
इसकी बढ़ती ही चली जा रही है
                      मेरे हमनवां

शीरीं मंसूरी "तस्कीन"

Thursday, 4 January 2018

दिन के बाद रात आती है

दिन के बाद रात आती है
ख़ुशी के बाद गम आता है
विरह के बाद मिलन आता है
अँधेरे के बाद उजाला आता है
पतझड़ के बाद हरयाली आती है 
सूखे के बाद वारिश आती है
हर किसी न किसी जाने के,
बाद वापस आता है
पर तुम तो ऐसे गये,
कि फिर वापस न आये
अब बस बहुत हुआ लौट आओ न


शीरीं "तस्कीन"

Wednesday, 3 January 2018

एक बात पूंछू तुमसे रूठोगे यो नहीं

एक बात पूंछू तुमसे रूठोगे यो नहीं
जैसे आकाश कभी अपनी धरती का
चन्दा कभी अपनी चाँदनी का
रात कभी अपनी जुगनू का
सागर कभी अपनी लहरों का
फूल कभी अपनी महक का
भँवरा कभी अपनी गुनगुनाहट का
दिल कभी अपनी धड़कन का
सूरज कभी अपनी लालिमा का
नींद कभी अपने सपनों का
साथ नहीं छोड़ती है
फिर तुमने मुझे क्यों छोड़ दिया तन्हा
इस दुनियां में अकेला


शीरीं मंसूरी "तस्कीन"

Tuesday, 2 January 2018

मैं जिद्दी हूँ -

तुम मुझसे बार बार कहते थे
मैं जिद्दी हूँ - मैं जिद्दी हूँ
पर तुम ने मेरी जिद न पूँछी
शायद पूँछ लेते तुम
मुझे सिर्फ तुम्हें पाने की जिद है
तो शायद उस दिन से तुम मुझे
जिद्दी कहना भूल जाते


शीरीं मंसूरी "तस्कीन"

Monday, 1 January 2018

मेरा तुम्हारा साथ एक पतंग और हवा के जैसा है

मेरा तुम्हारा साथ एक पतंग और हवा के जैसा है
जब एक पतंग और हवा एक-दूसरे का साथ पाकर
नीले आकाश में जब दूर तलक निकल जाते हैं
जहाँ उन्हें दूर तलक कोई छू नहीं सकता
उसी तरह मेरा-तुम्हारा साथ पतंग और हवा जैसा है 
जब तुम मेरे साथ-साथ चलते हो तो
मैं हर मुश्किल को पार कर लेती हूँ
और ज्यों हवा पतंग का साथ छोड़ देती है
तो पतंग अकेली लड़ते-लड़ते कट जाती है
उसी तरह जब तुम मेरा हाथ छोड़ते हो
तो मैं अपनी मंजिल से बहुत दूर चली जाती हूँ


शीरीं "तस्कीन"