Tuesday, 11 September 2018

यादों के साये


आज भी मैं तुम्हारी यादों के साये के साथ जीती हूँ
तुम्हारे जाने के बाद यही तो हैं जो मेरा साथ देती हैं

शीरीं मंसूरी “तस्कीन”

2 comments:

  1. यादों की पूँजी अनमोल है। मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति।

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