काश कोई मेरे इन
बहते आंसुओं को
अपनी हथेली पर लेता
और कहता
प्रियतमा ! ये आंसू
इतने अनमोल हैं
कि अब इन्हें जमीन पर कभी न गिराना
और फिर सीने से
लगाता और कहता
मुझे भेजा है रब ने
तुम्हारे आंसुओं को रोकने के लिए
आज से मैं वादा करता
हूँ कि
तुम्हारी परेशानी को
मैं अपनी परेशानी बनाऊंगा अब
कभी न रोने का मुझसे
वादा लेता
जनम भर साथ देने का
वादा करता
मेरे दुखों को हंस
कर अपना बना लेता
मेरी तकलीफ को अपनी
तकलीफ बना लेता
शीरीं मंसूरी 'तस्कीन'
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