थक गयीं ये अखियाँ
तेरा पंथ निहारते निहारते
कुछ नमी थी मेरी
आँखों में अब वो जम गई है
थक गयीं ये अखियाँ
तेरा पंथ निहारते निहारते
तेरे साथ बिताया हुआ
वो लम्हा कोई लौटा दे
उसके बदले मेरी सबसे
अनमोल चीज ले ले
थक गयीं ये अखियाँ
तेरा पंथ निहारते निहारते
शीरीं मंसूरी 'तस्कीन'
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