हाँ आज भी वो पल वो
लम्हा याद है
जब तुम मुझसे आखिरी
बार मिलने आये थे
तुमसे मिलने के बाद
तुमने कुछ कहा था
जब तुमने पहली बार
मुझे गले लगाया
तुमने मेरे गालों को
छुआ था
जब मेरा आँचल हवाओं
ने उड़ाया था
तब तुमने कहा था
आँचल आज उड़ जाने दो सनम
हाँ आज ....
जब हवाओं ने मेरे
बालों को मेरे गालों पर गिराया था
तब तुमने मुझसे कहा
था अपने बालों को यूँ ही गिरने दो सनम
बड़े हक़ से तुमने
मेरी बाहों में बाहें डालके
मुझे एहसास कराया था
कि हाँ तुम सिर्फ मेरे हो किसी और के नहीं
हाँ आज .....
दोनों के दिल एक
दूसरे को रोक रहे थे
मगर हम एक होते जा
रहे थे
हाँ आज भी ...
ऐसा लग रहा था काश
ये पल
हमेशा के लिए यूँ ही
ठहर जाए
तुम मेरे हो जाओ मैं
तुम्हारी हो जाऊं
और मेरे कानों में
तुमने कहा सनम
अब मैं तुम्हारे
बिना जी नहीं सकता
क्या तुम मेरी हमसफ़र
बनोगी
काश तुमने ये सब एक
बार कहा होता
झूठ ही सही इक बार
कह दिया होता
दुनियां की हर जंजीर
हर रिश्ते को तोड़कर
तेरे साथ क़दम से क़दम
मिला कर तेरे साथ चल दी होती
हाँ आज ......
शीरीं मंसूरी 'तस्कीन'
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