Wednesday, 31 May 2017

कठपुतली बनकर जीना होता है

र एक दिन कठपुतली बनकर जीना होता है
दूसरों को ख़ुशी और खुद को दुःख देती हूँ
हर एक दिन झूठी मुस्कान के साथ दिन की शुरुआत करती हूँ
ये दुनियां वाले मेरे दिल के छुपे दर्द को क्या महसूस करेंगे

लोगों को हँसाना तो जानती हूँ पर अभी तक खुद हँसना नहीं सीख पाई
एक रोज अगर खुदा मिले तो पूछूंगी उस खुदा से
क्या वाक़ई एक औरत की ज़िन्दगी एक कठपुतली होती है ?
शायद खुदा का जवाब भी यही होगा जो दुनियां का है

कठपुतली तुझे इस दुनियां के जीते जागते लोगों ने बनाया है
मैंने तो तुझे दुनियां में इक औरत की खूबियों को गढ़कर भेजा था

मगर इन दुनियां के लोगों ने तुझे कठपुतली बनाया है 


शीरीं मंसूरी 'तस्कीन'

Tuesday, 30 May 2017

ज़िन्दगी की हकीक़त थी

कुछ ज़िन्दगी की हकीक़त थी
पर मैंने उसे स्वीकार नहीं किया
बचपन में मैं सोचती थी कि

ये  भेद भाव के रस्मो रिवाज कुछ नहीं होते
दिन बीतते गए सच सामने आता गया
फिर भी मैं जानकर अंजान रही

सच सामने था पर हमेशा की तरह उसे नकारती रही
पर सच से मैं कब तक पीछे भागती
उसे तो एक न एक दिन सामने आना था

फिर एक दिन खुद अपनी लड़की होने की इस कमी को स्वीकारा
जब सब मेरे साथ मेरी आँखों के सामने हुआ
लोगों ने सच ही कहा है कि लड़कियां पराया धन होती हैं

अपनी जान को निछावर करने के बाद भी
उन्हें हमेशा यही सुनने को मिलता है

कि लड़कियां पराया धन हैं पराया धन 


शीरीं मंसूरी 'तस्कीन' 

Monday, 29 May 2017

आंसू छलक आए

आज फिर मेरी प्यारी अखियों से आंसू छलक आए
खुद को संभालते संभालते फिर टूट के बिखर गई
क्या ये उदासी खामोशी हमेशा यूँ ही मेरे साथ रहेगी

हाँ आज फिर मैंने खुद को टूटते हुए देखा 


शीरीं मंसूरी 'तस्कीन'

Sunday, 28 May 2017

कौन कहता है

कौन कहता है कि नारी कमजोर है
नारी भावनाओं की इक डोर है
नारी आस्था का एक प्रतीक है
नारी न हो तो संसार है सूना

नारी के बिना हर रिश्ता है सूना 


शीरीं मंसूरी 'तस्कीन'

Saturday, 27 May 2017

थक गई

थक गई आज मैं फिर खुद से लड़ते लड़ते
हार गई आज मैं फिर खुद से लड़ते लड़ते
रो पड़ी आज फिर मैं खुद से लड़ते लड़ते

टूट गई आज मैं फिर खुद से लड़ते लड़ते


शीरीं मंसूरी 'तस्कीन'

Friday, 26 May 2017

प्यार करना

प्यार करना इतना बड़ा जुर्म है यारो
तो मैं प्यार शायद कभी न करती
सुना न था प्यार तकलीफ देता है
प्यार करके देखा तो महसूस हुआ

हाँ प्यार तकलीफ देता है सिर्फ तकलीफ 


शीरीं मंसूरी 'तस्कीन'

Thursday, 25 May 2017

आज सब कुछ होने के बावजूद

आज सब कुछ होने के बावजूद भी
ज़िन्दगी में खालीपन सा महसूस हो रहा है

शायद मेरे दोस्त मुझे तेरी कमी खल रही है 


शीरीं मंसूरी 'तस्कीन'

Wednesday, 24 May 2017

काश कोई मेरे इन बहते आंसुओं को

काश कोई मेरे इन बहते आंसुओं को
अपनी हथेली पर लेता और कहता
प्रियतमा ! ये आंसू इतने अनमोल हैं
कि अब  इन्हें जमीन पर कभी न गिराना

और फिर सीने से लगाता और कहता
मुझे भेजा है रब ने तुम्हारे आंसुओं को रोकने के लिए
आज से मैं वादा करता हूँ कि
तुम्हारी परेशानी को मैं अपनी परेशानी बनाऊंगा अब

कभी न रोने का मुझसे वादा लेता
जनम भर साथ देने का वादा करता
मेरे दुखों को हंस कर अपना बना लेता

मेरी तकलीफ को अपनी तकलीफ बना लेता  


शीरीं मंसूरी 'तस्कीन'

Tuesday, 23 May 2017

हाँ आज भी वो पल वो लम्हा याद है

हाँ आज भी वो पल वो लम्हा याद है
जब तुम मुझसे आखिरी बार मिलने आये थे
तुमसे मिलने के बाद तुमने कुछ कहा था

जब तुमने पहली बार मुझे गले लगाया
तुमने मेरे गालों को छुआ था

जब मेरा आँचल हवाओं ने उड़ाया था
तब तुमने कहा था आँचल आज उड़ जाने दो सनम
हाँ आज ....

जब हवाओं ने मेरे बालों को मेरे गालों पर गिराया था
तब तुमने मुझसे कहा था अपने बालों को यूँ ही गिरने दो सनम

बड़े हक़ से तुमने मेरी बाहों में बाहें डालके
मुझे एहसास कराया था कि हाँ तुम सिर्फ मेरे हो किसी और के नहीं
हाँ आज .....

दोनों के दिल एक दूसरे को रोक रहे थे
मगर हम एक होते जा रहे थे
हाँ आज भी ...

ऐसा लग रहा था काश ये पल
हमेशा के लिए यूँ ही ठहर जाए
तुम मेरे हो जाओ मैं तुम्हारी हो जाऊं 
और मेरे कानों में तुमने कहा सनम

अब मैं तुम्हारे बिना जी नहीं सकता
क्या तुम मेरी हमसफ़र बनोगी
काश तुमने ये सब एक बार कहा होता
झूठ ही सही इक बार कह दिया होता
दुनियां की हर जंजीर हर रिश्ते को तोड़कर
तेरे साथ क़दम से क़दम मिला कर तेरे साथ चल दी होती

हाँ आज ...... 

शीरीं मंसूरी 'तस्कीन'

Monday, 22 May 2017

थक गयीं ये अखियाँ

थक गयीं ये अखियाँ तेरा पंथ निहारते निहारते
कुछ नमी थी मेरी आँखों में अब वो जम गई है
थक गयीं ये अखियाँ तेरा पंथ निहारते निहारते

तेरे साथ बिताया हुआ वो लम्हा कोई लौटा दे
उसके बदले मेरी सबसे अनमोल चीज ले ले

थक गयीं ये अखियाँ तेरा पंथ निहारते निहारते



शीरीं मंसूरी 'तस्कीन'

Sunday, 21 May 2017

मिटा देना है दुनियां के हर रिवाज

मिटा देना है दुनियां के हर रिवाज को 
बढ़ाना है नारियों के सम्मान को विश्वास को
तोड़ना है इस दुनियां की जंजीरों को
कर दिखाना है कुछ इस दुनियां के लोगों को

ख़त्म करना है दुनियां से स्त्री पुरुष के भेदभाव को
आज खुद से संकल्प लेती हूँ ये अभी इसी समय
रही यूँ जिंदा तो ख़त्म करूँगी इस भेदभाव को
मिटा दूँगी दुनिया की बड़ी से बड़ी दीवार को

क़सम उस हर औरत की चीख को
जहाँ कई स्त्रियों ने खुद को जलाया है
इस लोक लाज के भय से
मिटा दूँगी इन सारी बंदिशों को

ख़त्म कर दूँगी दुनियां की हर ताक़त को
जिस तरह मैं तिल तिल हर रोज मरी हूँ
स्त्री पुरुष के भेदभाव को देखकर
आज इस भेदभाव को ख़त्म करने को जी चाहता है

उस दिन खुद को उन्नति के पथ पर पाऊँगी
जिस दिन इस बोझ को अपने सर से उतारूँगी
वह पल मेरी ज़िन्दगी का अनमोल पल होगा

जब नारियों के हक़ के लिए मैं लडूँगी न्याय दिलाऊंगी 

शीरीं मंसूरी 'तस्कीन'

काश लौट आए

काश लौट आए तेरे साथ बिताया हुआ हर इक पल
मेरे रूठ जाने पर तेरा बार बार मनाना
मेरे न मानने पर खुद रो पड़ना और मुझे भी रुला देना
काश लौट आए ......

आज  भी उस जगह से गुजरती हूँ जहाँ तुम आखिरी बार आए थे
देखती हूँ उस जगह को बार बार मगर तुम कहीं नज़र नहीं आए
काश लौट आए ...

तेरी इक मुस्कराहट पे अपनी सारी खुशियों को निछावर कर देना
तेरे मुंह से अपनी तारीफ़ को सुनना आज भी मुझे याद है
काश लौट आए ...

तेरे गुस्से से आना और मुझसे मिलने पर खुद पिघल जाना
अपनी खुशियों को दबा कर तेरे लिए दुआ करना आज भी मुझे याद है 
काश लौट आए ...

तेरी यादों में फिर से डूब जाने को आज फिर ये दिल करता है
तेरे गुस्से में भी अपने लिए प्यार देखना आज भी याद है
काश लौट आए ....

आज भी वो दिन याद है तुझसे आखिरी बार मिलना
फिर न कभी मिलने वाला पल आज भी मुझे याद है
काश लौट आए ...

न भूली हूँ न भूलूंगी तेरे आखिरी बार मुझसे बिछड़ के तेरा जाना
न भूली हूँ न भूलूंगी तेरा मुड़ के वो पलट के आखिरी बार देखना
काश लौट आए ...

आज भी उस आखिरी पल को सदा अपनी ज़िन्दगी में संजोए रखूंगी
तेरी हर याद को अपने सीने से लगाए रखूंगी 

काश लौट आए ... 

शीरीं मंसूरी 'तस्कीन'

वक़्त गुजर गया

वक़्त गुजर गया मगर यादें हैं जो जाने का नाम ही नहीं लेती 

शीरीं मंसूरी 'तस्कीन'

इंसान और ज़िन्दगी

इंसान और ज़िन्दगी बदलने में वक़्त नहीं लगता

शीरीं मंसूरी 'तस्कीन'

Thursday, 18 May 2017

पहला दिन

दोस्तों ,
आदाब !!

ब्लॉग की दुनिया में पहला क़दम रख रही हूँ. आप सब का प्यार दरकार है.


शीरीं मंसूरी 'तस्कीन'