हर एक दिन कठपुतली
बनकर जीना होता है
दूसरों को ख़ुशी और
खुद को दुःख देती हूँ
हर एक दिन झूठी
मुस्कान के साथ दिन की शुरुआत करती हूँ
ये दुनियां वाले
मेरे दिल के छुपे दर्द को क्या महसूस करेंगे
लोगों को हँसाना तो
जानती हूँ पर अभी तक खुद हँसना नहीं सीख पाई
एक रोज अगर खुदा
मिले तो पूछूंगी उस खुदा से
क्या वाक़ई एक औरत की
ज़िन्दगी एक कठपुतली होती है ?
शायद खुदा का जवाब
भी यही होगा जो दुनियां का है
कठपुतली तुझे इस
दुनियां के जीते जागते लोगों ने बनाया है
मैंने तो तुझे
दुनियां में इक औरत की खूबियों को गढ़कर भेजा था
मगर इन दुनियां के
लोगों ने तुझे कठपुतली बनाया है
शीरीं मंसूरी 'तस्कीन'