गम तो दिए तुमने मुझे इतने
कि मैं बयाँ नहीं कर सकती
पर तुहारी एक मुस्कराहट पे
तुम्हारे उन हज़ार दिए हुए ग़मों को
भुलाया है हमने कई दफा
कि मैं बयाँ नहीं कर सकती
पर तुहारी एक मुस्कराहट पे
तुम्हारे उन हज़ार दिए हुए ग़मों को
भुलाया है हमने कई दफा
- शीरीं मंसूरी " तस्कीन "
वाह ! इतना विशाल ह्रदय ही संसार में सकारात्मकता का संदेश सम्प्रेषित कर सकता है। सुन्दर भाव। बड़ा सन्देश। न्यूनतम शब्द। बधाई एवं शुभकामनाऐं।
ReplyDelete