मैंने तुमसे कुछ ज्यादा तो नहीं
सिर्फ प्यार के बदले, प्यार ही तो
माँगा था
मैंने तुमसे........
दो कदम साथ चलने के लये,मैंने
तुम्हारा हाथ ही तो माँगा था
मैंने तुमसे........
तुम्हें ख़ुशी देने के लिए,
तुम्हारे गमों को ही तो उधार माँगा था
मैंने तुमसे........
तुम्हें उपर उठाने के लिए,
थोडा-सा गिरना ही तो चाहा था
मैंने तुमसे........
तुम्हारी तमन्नाओं को पूरा करने
के लिए, तुमसे दूर जाना ही तो माँगा था
मैंने तुमसे........
तुम्हें अच्छा साबित करने के लिए,
थोडा-सा बुरा बनना ही तो चाहा था
मैंने तुमसे........
तुम्हें दुनियाँ की बुरी नज़र से
बचाने के लिए, तुम्हारी थोड़ी-सी बलाएँ ही तो मांगी थी
मैंने तुमसे........
तुम्हें मान देने के लिए, थोडा-सा
बदनाम होना ही तो चाह था
मैंने तुमसे........
तुम्हें मंजिल तक पहुँचाने के
लिए, तुम्हारा रास्ता बनना ही तो चाहा था
मैंने तुमसे........
तुम्हारी परछाई बनने के लिए,
तुम्हारे साथ चलना ही तो चाहा था
मैंने तुमसे........
शीरीं मंसूरी “तस्कीन”